भारत में राष्ट्रवाद । महत्वपूर्ण आंदोलन । कक्षा 10। Hindi medium

 

भारत में राष्ट्रवाद

भारत में राष्ट्रवाद यूरोप में राष्ट्रवाद के साथ शुरू हुआ था। यूरोप में आधुनिक राष्ट्रवाद के साथ नए प्रकार के राष्ट्र राज्यों का उदय हुआ। इसके कारण देश के बारे में लोगों में एक नए प्रकार की समझ विकसित हुई। राष्ट्रवाद किसी देश में धर्म, देश ,जात के आधार पर होता है। भारत में राष्ट्रवाद से हमें बहुत सी चीजों के बारे में जानने को मिलता है जैसे विश्व युद्ध खिलाफत आंदोलन असहयोग आंदोलन सत्याग्रह का विचार जलियांवाला बाग हत्याकांड राले राइट आदि के बारे में पता चलता है। जिसके बारे में आज हम जानेंगे तो चलिए शुरू करते हैं:

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राष्ट्रवाद क्या है 

भारत में राष्ट्रवाद की शुरुवात कैसे हुई?

भारत में राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा 

सात्याग्रह का विचार

रॉलट एक्ट 

खिलाफत आन्दोलन 

सविनय अवज्ञा की ओर


राष्ट्रवाद क्या है 

राष्ट्रवाद (nationalism) एक प्रकार की विचारधारा है। राष्ट्रवाद का अर्थ है "राष्ट्र से प्रेम "अर्थात यदि कोई व्यक्ति अपने आपको राष्ट्र के प्रति वफादार मानता है। उसे राष्ट्रवादी कहा जाता है। राष्ट्रवाद विभिन्न प्रकार के होते हैं । 

  जैसे:

  • जातीय राष्ट्रवाद
  • भाषा राष्ट्रवाद
  • संस्कृति राष्ट्रवाद
  • उदार राष्ट्रवाद
  • नागरिक राष्ट्रवाद
  • धार्मिक राष्ट्रवाद
  • वैचारिक राष्ट्रवाद

भारत में राष्ट्रवाद की शुरुवात कैसे हुई?

भारत में प्राचीन काल से ही असंतोष था। राष्ट्रवाद एकता की भावना जागृत करता है वह भावना धार्मिक ,संस्कृत, भाषा ,विचार आदि के हो सकते हैं।
भारत में राष्ट्रवाद की भावना 19वीं सदी से प्रारंभ हुई थी। ब्रिटिश सॉन्ग के अत्याचारों से असंतोष भारतीयों ने राष्ट्र के बारे में सोचना प्रारंभ किया।
भारत में राष्ट्रवाद की भावना की न्यू ब्रिटिश शासन में रखी गई।

भारत में राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा 

 भारतीयों में राष्ट्रवादी भावनाएं जागृत करने वाले कारण
किसी क्षेत्र के लोगों में राष्ट्रवाद की भावना तब पंक्ति है जब लोग यह महसूस करने लगते हैं कि वह एक ही राष्ट्र के अंग हैं। तब परस्पर एक दूसरे को एकता के सूत्र में बांधने वाली कोई साझा बाद ढूंढ लेते हैं। सामूहिक अपनेपन की यह भावना आंशिक रूप से संयुक्त संघर्षों से पैदा हुई थी।
इतिहास व साहित्य लोक , कथाएं व गीत चित्र व प्रति सभी ने राष्ट्रवाद को साकार करने में अपना अपना योगदान दिया था।

  • भारत माता की छवि का प्रभाव    20 वीं सदी में राष्ट्रवाद के विकास के साथ भारत की पहचान भी भारत माता की छवि के रूप लेने लगी। यह तस्वीर पहली बार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने बनाई थी। 1870 के दशक मैं उन्होंने मातृभूमि की स्तुति के रूप में वंदे मातरम गीत लिखा। बाद में इसे उन्होंने अपने उपन्यास आनंदमठ में शामिल कर लिया।
  • भारतीय लोक- कथाओं को पुनर्जीवित करना      राष्ट्रवाद का विचार भारतीय लोक कथाओं को पुनर्जीवित करने के आंदोलन से भी मजबूत हुआ। 19वीं सदी के अंत में राष्ट्रवादी हूं ने भक्तों वचनों द्वारा गाए सुनाई जाने वाली लोक कथाओं को दर्ज करना शुरू कर दिया। उनका मानना था कि यह कहानी हमारी परंपरागत संस्कृति की तस्वीर पेश करती है जो बाहरी तत्वों के प्रभाव से भ्रष्ट और दूषित हो चुकी थी। अपनी राष्ट्रीय पहचान को ढूंढने और अपने अतीत में गौरव का भाव उत्पन्न करने के लिए लोक परंपरा को बचा कर रखना आवश्यक था।।
  • चिन्हों व प्रतीकों का प्रभाव     राष्ट्रवादी नेता लोगों में राष्ट्रवाद की भावना भरने के लिए चिन्ह और प्रतीकों के बारे में जागरूक होते गए। सन 1921 तक गांधी जी ने भी स्वराज का झंडा तैयार कर लिया था। यह तिरंगा था (सफेद ,हरा और लाल)। इसके मध्य में गांधीवाद का प्रतीक था।
  • संयुक्त संघर्ष      अंग्रेजों के विरुद्ध भारत वासियों के संयुक्त संघर्ष ने भी राष्ट्रवाद की भावना को जागरूक किया

सात्याग्रह का विचार

महात्मा गांधी जनवरी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में एक नए तरह के अनुसार आंदोलन के रास्ते पर चलते हुए वहां की नस्ल भेज दी सरकार से सफलतापूर्वक लोहा लिया था। इस मार्ग को "सत्य ग्रह" कहा गया।

सत्य ग्रह पर गांधीजी के विचार थे-


"सत्य ग्रह शारीरिक बल नहीं है। सत्याग्रही अपनी सूत्र को कष्ट नहीं पहुंचाता नहीं वह अपने शत्रु का विनाश चाहता है। सत्याग्रह के प्रयोग में दुर्भावना के लिए कोई स्थान नहीं होता।"

गांधी जी द्वारा सत्याग्रह आंदोलन - भारत आने के बाद गांधीजी ने कई स्थानों पर सत्याग्रह आंदोलन चलाया।

  • सन 1916 में उन्होंने बिहार के चंपारण इलाके का दौरा किया और दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया ।
  • सन 1917 में उन्होंने गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की सहायता के लिए सत्याग्रह का आयोजन किया। वे चाहते थे कि लगान की वसूली में ढील दी जाए।
  • सन 1918 में गांधीजी सूती कपड़ा कारखानों के मजदूरों के बीच सत्याग्रह आंदोलन चलाने अहमदाबाद जा पहुंचे।

रॉलट एक्ट 

भारत में क्रांतिकारियों के दमन के लिए भारत सुरक्षा अधिनियम पारित किया गया था। इसकी अवधि युद्ध काल तक ही थी। क्रांतिकारी गतिविधियों को समाप्त करने के उद्देश्य से न्यायाधीश सर सिडनी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। समिति ने परामर्श दिया कि देश में शांति स्थापित करने के लिए दो अधिनियम बनाए जाने आवश्यक है। समिति की सिफारिश पर सरकार ने केंद्रीय सभा में 2 विधेयक प्रस्तुत किए इनके विरुद्ध संपूर्ण देश में आवाज उठाई गई। इनमें से एक अधिनियम का रूप दे दिया गया।

  • 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ उस दिन अमृतसर में बहुत सारे गांव वाले सालाना बैसाखी के मेले में जलिया वाले बाग के मैदान में एकत्रित हुए थे।
  • यह मैदान चारों ओर से मकानों से गिरा था तथा निकलने का एकमात्र रास्ता था। जिसे भी बंद कर दिया गया था।
  • शहर से बाहर होने के कारण वहां जुटे लोगों को यह पता नहीं था कि क्षेत्र में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है। जनरल डायर हथियारबंद सिपाहियों के साथ वहां पहुंचा। और वहां अंधाधुंध गोलियों की बौछार की जिसके चलते सैकड़ों लोग मारे गए

खिलाफत आन्दोलन 

  • खिलाफत आंदोलन 1919 में प्रारंभ हुआ था।
  • मौलाना शौकत तथा मुहम्मद अली, जो अली बंधुओं के नाम से प्रसिद्ध थे,के नेतृत्व में खिलाफत आंदोलन आरंभ किया गया।
  • इस आंदोलन के अन्य मुख्य नेता मौलाना अब्दुल कलाम आजाद तथा हकीम अजमल खान थे।
सविनय अवज्ञा की ओर

फरवरी 1922 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस लेने का निर्णय कर लिया। महात्मा गांधी को लगता था कि आंदोलन हिंसक होता जा रहा था और सत्य बुराइयों को व्यापक प्रशिक्षण की आवश्यकता थी। कांग्रेस के कुछ नेता इस प्रकार के जन संघर्षों से थक चुके थे। सन 1919 के 'Government of India act'के अंतर्गत गठित की गई प्रांतीय परिषदों के चुनाव में भाग लेना चाहते थे।
सीआर दास और मोतीलाल नेहरू ने परिषद राजनीति में वापस लौटने के लिए कांग्रेस के भीतर ही स्वराज पार्टी का गठन कर लिया। जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस जैसे युवा नेता अधिक उग्र जन आंदोलन और पूर्ण स्वतंत्रता के लिए अपना दबाव बनाए हुए थे।


भारत में राष्ट्रवाद की शुरुवात कब हुई थी ?

भारत में राष्ट्रवाद की शुरुवात 19वीं सदी में हुई थी ।

महात्मा गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब आए ?

महात्मा गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत 1915 में आए थे ।

Shiving pal

मेरा नाम शिविंग पाल है मैं इस वेबसाइट पर रोजाना नई नई जानकारी उपलब्ध कराता हूं। मुझे लिखने का शौक है और मैं इस वेबसाइट पर रोजाना पोस्ट लिखता हूं।

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