भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | national movement of india-Alterknowledge
National movement -
ऐसा आंदोलन जिसमे किसी देश के निवासी एकजुट होकर एकजुट होकर देश की अखंडता , संप्रभुता, स्वतंत्रता के लिए युद्ध आंदोलन कहलाता है।
यह आंदोलन राष्ट्रव्यापी तब होता जब देश के सभी नागरिक बिना जाति ,धर्म ,रंग रूप,जन्मस्थान,के रूप में बिना भेदभाव के एक साथ युद्ध करते है । 19 वीं शताब्दी में भारतीयों के मस्तिष्क में राष्ट्रवाद की भावना पैदा होने लगी थी । अब भारतीय जान चुके थे कि वे ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत कभी भी स्वतंत्र नही हो सकते है।
जिससे लोगो ने आंदोलन,विद्रोह जैसी गतिविधियां करने लगे, जिनमे से कुछ निम्न हैं -
Table of contents
1857 से 1947 तक के भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन जो की निम्न है -
1.1857 का विद्रोह
2.मुस्लिम लीग की स्थापना 1906
3.साइमन कमीशन 1928
4.खिलाफत आन्दोलन 1919
5.भारत छोड़ो आन्दोलन 1942
6.रॉलेट एक्ट 1919
7.होमरूल लीग 1916
.1857 का विद्रोह
1857-58 ई० का सिपाही विद्रोह सभी विद्रोह से विशाल था। ब्रिटिश ओ ने इसे सैनिक विद्रोह कहा, किंतु भारतीयों ने इसे स्वतंत्रता के प्रथम युद्ध का नाम दिया।
ब्रिटिश सेना का एक बहुत बड़ा भाग भारती सिपाही थे, किंतु बहुत से मामलों में ब्रिटिश उनके साथ पक्षपातपूर्ण थे। इससे असंतुष्ट के परिणाम स्वरूप कई विद्रोह हुए; जैसे - 1764 ई० में बंगाल , 1806 ई ० में वेल्लोर (तमिलनाडु),1824 और 1844 में बैरकपुर (बंगाल)। यह विद्रोह भी स्थानीय प्रकृति के रहें। लोगों की भावनाएं राष्ट्रीय स्तर पर जागृत होने की प्रतीक्षा कर रही थी और यह अवसर 1857 ई० में आया।
.मुस्लिम लीग की स्थापना
भारत के मुख्य समुदाय हिंदू तथा मुस्लिम 1857 ई ० के विद्रोह में साथ-साथ लड़े थे। ब्रिटिश प्रारंभ से ही मुस्लिमों के विरुद्ध थी इसलिए फूट डालो और राज करो नीति का अनुसरण करते हुए मुस्लिमों का समर्थन किया ताकि हिंदू मुस्लिम की एकता को खंडित किया जा सके।
1906 ई० में आगा खान तथा नवाब सलीमुल्लाह प्रतिनिधि के नेतृत्व में मुस्लिमों का एक प्रतिनिधि मंडल वायसराय लार्ड मिंटो से मिला। उन्होंने एक मुस्लिम संगठन की स्थापना की मांग की जो मुस्लिमों के लिए कार्य कर सकें। यह मांग ब्रिटिश सरकार के मंतव्य के पक्ष में थी इसके लिए ब्रिटिश सरकार को कोई आपत्ति नहीं हुई। इस प्रकार 1906 ई० में मुस्लिम लीग की स्थापना हो गई।
1927 ई० मैं ब्रिटिश सरकार ने भारत सरकार के कार्यों की समीक्षा करने के लिए एक कमीशन की नियुक्ति की इस कमीशन के अध्यक्ष जॉन साइमन थे जिनके नाम पर इस आयोग का नाम साइमन कमीशन रखा गया। इस कमीशन के सदस्य अंग्रेज थे,जिनका भारतीयों ने कड़ा विरोध किया।
साइमन कमीशन 3 फरवरी 1928 को भारत आया। जब यह कमिशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में पहुंचा तब लाला लाजपत राय ने इसके विरोध में शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन किया। जहां भैया कमीशन पहुंचा वहां इसका स्वागत हड़ताल ओ काले झंडों तथा साइमन वापस जाओ के नारों के साथ किया गया।
Note: लाला लाजपत राय की मृत्यु साइमन कमीशन के विरोध में, जेम्स स्कोट के द्वारा लाठीचार्ज के आदेश दिए जाने के कारण हुई थी।
.खिलाफत आन्दोलन
मुस्लिम देश तुर्की ने प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की ओर से ब्रिटिशों के विरुद्ध युद्ध लड़ा था। अपनी पराजय के बाद ब्रिटिशों द्वारा किए जा रहे अन्याय को झेल रहे थे। ब्रिटिश तुर्की के सुल्तान जो तुर्की के सुन्नी मुसलमानों के खलीफा या आध्यात्मिक मुखिया थे,के साथ बुरा व्यवहार करते थे। इसने भारतीय मुसलमानों को भी क्रोधित किया। शीघ्र ही मौलाना शौकत तथा मोहम्मद अली जो अली बंधुओं, के नाम से प्रसिद्ध थे,के नेतृत्व में खिलाफत आंदोलन 1919 में आरंभ किया गया।
.भारत छोड़ो आंदोलन
क्रिप्स मिशन के असफल हो जाने के बाद भारतीय नेताओं ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करने का निश्चय किया तथा अगस्त 1942 ईस्वी में भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया। गांधीजी ने अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन प्रसिद्ध नारे करो या मरो के साथ प्रारंभ किया। कांग्रेश ने अहिंसात्मक तरीके से संपूर्ण देश में सामूहिक संघर्ष का संगठन करने का निश्चय किया। ब्रिटिश सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण नेताओं जैसे गांधीजी और जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया।
किंतु यह आंदोलन संपूर्ण भारत में फैल चुका था,संपूर्ण देश में हड़ताले तथा प्रदर्शन हुए । प्रत्येक गली में एक ही नारा गूंज रहा था अंग्रेजों भारत छोड़ो। ये आंदोलन उत्तर प्रदेश, बंगाल ,बिहार, आंध्र प्रदेश ,उड़ीसा तथा महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर फैला।
.रॉलेट एक्ट
मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार से असंतुष्ट भारतीयों को दबाने के लिए मार्च 1919 ईस्वी में सरकार ने रॉलेट एक्ट पारित किया। इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को कारण बताए बिना गिरफ्तार किया जा सकता था। भारतीयों ने इस एक्ट का कड़ा विरोध किया। गांधी जी के नेतृत्व में भी राष्ट्रव्यापी विरोध किए गए। सरकार ने इस विरोध को शांत करने के लिए लाठीचार्ज तथा गोलीबारी का उपयोग किया।
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.होमरूल लीग
1916 ईस्वी में कुछ नेताओं ने स्वशासन के लिए आंदोलन करने का निश्चय किया। इसी समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था। अतः एनी बेसेंट तथा बाल गंगाधर तिलक के नेतृत्व में दो होम रूल लीग की स्थापना हुई लेकिन बाद में यह दोनों संयुक्त हो गए। इन लोगों ने भारत में स्वशासन की मांग की । एनी बेसेंट ने नरमपंथी तथा चरमपंथी को एक साथ लाने का प्रयास किया जिसमें वह सफल भी हुई। 1916 ईस्वी में वह कांग्रेस की अध्यक्षा बनी। इस समय चरमपंथी शक्तिशाली हो चुके थे। अतः 1917 ईस्वी में कांग्रेस ने स्वशासन की घोषणा की। इस पर नरमपंथी नेता कांग्रेस को छोड़ दिया और उन्होंने इंडियन लिबरल फेडरेशन नामक एक नए संगठन की स्थापना की। किंतु या संगठन भारतीय राजनीति में कोई प्रभाव नहीं दिखा सका।
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