मृदा,मृदा के प्रकार,मृदा अपरदन और कारण।types of soil
मृदा क्या है?
मृदा किसानों की अमूल्य संपति,मृदा पर हम चलते दौड़ते हैं, मृदा पर ही खाने के लिए खाद्य पदार्थ उगाए जाते हैं। भू पृष्ठ की सबसे ऊपरी परत जो पौधों को उगाने व बढ़ने के लिए जीवांश,खनिज ,नमी प्रदान करती है ' मृदा या मिट्टी ' का लगती है
मृदा की परिभाषा --
मॉकहाउस के सब्दो में,"मिट्टी भूतल पर पाई जाने वाली एक ऐसी परत है जिसका निर्माण चट्टानों के टूटने से प्राप्त हुए खनिज कण,पेड़ पौधों एवं जीव जंतु के सड़े गले अंश, जीवित जीव जंतुओं , जल तथा गैस के मिश्रण से होता है।"
मृदा का महत्व- मृदा से प्राप्त एक आधारभूत नवीकरण योग्य संसाधन है। पेड़ पौधों के उगने,उनकी वृद्धि और विकास के लिए मृदा का होना अनिवार्य है;वस्तुथा पौधे मृदा की ही देन है। सभी जीवधारी अपने भोजन के लिए किसी न किसी रूप में पौधों पर निर्भर करते है।
मृदा का वर्गीकरण __
भारत में पाई जाने वाले अनेक प्रकार के उच्चावच [ relief ] भू आकृति ,जलवायु , वनस्पति आदि के कारण भारत में निम्नाकित कई प्रकार की मिट्टियां [मृदा ] पाई जाती है ---
1. जालोढ या काँप मिट्टी ( Alluvial soil )
भारत के उत्तरी विशाल मैदान में नदियों द्वारा प्रवृत्ति क्षेत्रों से बाहर लाए गए जीवांशो से युक्त उपजाऊ मिट्टी मिलती है। इसे ही "जलोढ़ मिट्टी" कहा जाता है। इस मिट्टी को काँप या दोमट मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है।
2. काली या रेगुर मिट्टी ( black soil )

Black soil

इस मिट्टी का निर्माण ज्वालामुखी क्रिया द्वारा निकले लावा के जमने और फिर विखंडन के फल स्वरुप होता है। इन मृदाओं का रंग काला होता है; इन्हें "रेगुर मिट्टी "भी कहा जाता है।
3.लाल व पीली मिट्टी ( red and yellow soil )
यह मिट्टी लाल व पीले रंग की होती है इस मिट्टी का विस्तार प्रायद्वीपीय पठार के दक्षिण- पूर्वी भागों में पाया जाता है। लाल मिट्टी में जैविक पदार्थों ,फास्फोरिक अम्ल तथा नाइट्रोजन पदार्थों का अभाव पाया जाता है। इस मिट्टी में लोहांस की मात्रा अधिक होने और उसके ऑक्साइड में बदलने से इस मिट्टी का रंग ईंट के समान लाल हो जाता है।
4. पर्वतीय या वन मिट्टी ( mountain or forest soil )
पर्वतीय या पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाने वाली मिट्टी का विस्तार भारत में लगभग 2 .80 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर पाया जाता है। इस मिट्टी में कंकड़ पत्थर तथा बालू के मोटे कण पाए जाते हैं। इस प्रकार की मिट्टी में मसूरी तथा चकराता क्षेत्रों में चूने के अंशों की प्रधानता वाली मिट्टी पाई जाती है।
5.लेटराइट मिट्टी ( laterite soil )
इस मिट्टी का निर्माण उष्णकटिबंधीय भारी वर्षा के कारण होने वाली निक्षालन क्रिया द्वारा होता है। इसका रंग भी लाल तथा हल्के पीला होता। है इसमें कंकड़ और पत्थर के टुकड़े अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, इस कारण या मिट्टी कम उपजाऊ होती है। इस मिट्टी में मैग्नीशियम और चूने का अभाव होता है। जो पौधे का मुख्य भोजन होता है।
6.मरुस्थलीय मिट्टी ( desert soil )
मरुस्थलीय मिट्टी शुष्क बलुई मिट्टी होती है। इसका रंग लाल और भूरा होता है। वर्षा कम होने के कारण मरुस्थली क्षेत्रों में ऊसर कल्लर आदि मिट्टियां पाई जाती है। यह मिट्टी लवणता तथा क्षारीय गुणों से युक्त होती है।